Sunday, March 27, 2011

सास बहू के साथ भेदभाव कर रही हैं भाजपा सरकार सूर्यपुत्री मां ताप्ती की उपेक्षा पूर्णा का होगा उद्धार

सास बहू के साथ भेदभाव कर रही हैं भाजपा सरकार
सूर्यपुत्री मां ताप्ती की उपेक्षा पूर्णा का होगा उद्धार
 बैतूल, रामकिशोर पंवार: मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार लगता हैं कि एकता कपूर के स्ट्रार प्लस एवं उत्सव पर आने वाले टीवी धारावाहिको ज्यादा देखती हैं या फिर वह फिल्मी दुनिया की बहुचर्चित स्वर्गीय ललीता पंवार की आत्मा को अपने शरीर में प्रवेश कर चुकी हैं। हाल ही में ऐसा तब देखने को मिला जब प्रदेश सरकार ने बैतूल जिले की दो देव कन्याओं ताप्ती एवं पूर्णा के साथ अपनी घटिया मानसिकता का परिचय दिया। पुराणो में उल्लेखीत कथा के अनुसार सूर्यवंशी में जन्मी मां ताप्ती का विवाह चन्द्रवंशी राजा सवरण के साथ हुआ था। दस नाते चन्द्रपुत्री मां पूर्णा भले ही ताप्ती की सहेली हो लेकिन रिश्तो में वह ताप्ती जी की बुआ सास कहलाती हैं। वैसे भी देखा जाता रहा हैं कि चन्द्र एवं सूर्य की आपस में पटरी नहीं बैठने के बाद भी ताप्ती एवं पूर्णा का बैतूल जिले से अलग - अलग दिशा में बहता जल प्रवाह भुसावल के पास इन दोनो सहेलियों के मिलन का हुआ हैं। प्रदेश सूर्यवंश में जन्मे प्रतापी राजा राम की रामभक्त भाजपा अब इस जिले में बहने वाली दो प्रमुख धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नदियो के साथ भेदभाव करके अपनी अलग पहचान बनाने में लग हैं। बैतूल जिले की भैसदेही तहसील मुख्यालय स्थित काशी तालाब पुष्पकरणी से निकलने वाली चन्द्रपुत्री मां पूर्णा नदी जिसमें कभी वर्षभर पानी कल-कल कर बहते पानी को सहेज कर रखने के लिए एक मास्टर प्लान को लागू करने जा रही हैं। वैसे तो बैतूल जिले की सभी प्रमुख नदियों में अक्टुम्बर माह के समाप्त होते ही जल का प्रवाह दम तोडऩे लगता है। बैतूल जिले में ताप्ती 250 किलोमीटर तथा पूर्णा 90 किलोमीटर बहती हैं। इस समय जिले में करीब 90 किमी बहने वाली पूर्णा नदी के पुनर्जीवन के लिए प्रयास शुरू किए गए हैं। जिसमें करीब 67 करोड़ रूपए का प्लान तैयार किया गया है। तीन साल की अवधि में यदि इस प्लान पर सही तरीके से काम हुआ तो पूर्णा फिर से दुध की धारा के रूप में बहना शुरू हो लाएगी। सप्तऋषियों की प्यास बुझाने धरती पर आई पूर्णा सप्त ऋषियों के मन में आई खोट के चलते गाय के रूप में प्रगट होकर दुध की धारा बहाती हुई बैतूल जिले की सीमा से बाहर होकर भुसावल में ताप्ती से मिल गई। सरकारी मास्टर प्लान के तहत नदी के उपचार के लिए चुनने का कारण यह है कि नदी में बेस फ्लो स्तर तेजी से नीचे जा रहा है। जलग्रहण क्षेत्र में उच्च रिसन क्षमता है। इसलिए कंटूर ट्रेंच, कंटूर बोल्डर वॉल, गली प्लग संख्या, कंटूर बंड मेढ़ बंधान, सोक पिट, खेत-तालाब, चेकडैम, स्टापडैम, ड्राप स्पिल वे, बोरीबंधान, तालाब, परकोलेशन टेंक, पुराने चेकडैम सुधार, पुराने तालाबों का सुधार, रिचार्ज साफ्ट, डाइक सहित अन्य तरीकों से यह उपचार का काम किया जाएगा। नदी के उपचार के लिए जिस फार्मूले को तैयार किया गया है उसमें आधारभूत जानकारी का संकलन किया जाएगा। इसके साथ ही परियोजना क्रियान्वयन दल द्वारा संपूर्ण जलग्रहण क्षेत्र एवं नदी पथ का भ्रमण व सर्वेक्षण, ग्रामीण सहभागी समीक्षा के माध्यम से उपलब्ध संसाधनों एवं प्रस्तावित कार्यो की आयोजना, वाटर बजट एवं जल संरक्षण बजट तैयार करना, परिवार सर्वेक्षण एवं नेट प्लानिंग के माध्यम से प्रति खसराबार जल संरक्षण एवं जल संवर्घन संरचनाओं गतिविधियों का चयन, तकनीकी सर्वेक्षण एवं कम्प्यूटर के माध्यम से नक्शों एवं मानचित्रों का डिजीटलाईजेशन तकनीकी प्राक्कलन एवं स्वीकृति प्राप्त करना एवं डीपीआर तैयार कर ग्राम जनपद व जिला पंचायत से अनुमोदन कर तकनीकी स्वीकृति प्राप्त करना शामिल है। क्षेत्र के भौगोलिक स्थिति एवं भूमिप्रकार को ध्यान में रखकर जो रणनीति बनाई गई है। उसमें भूू जलस्तर में वृद्धि के लिए ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में अधिक से अधिक मृदा एवं जलसंरक्षण के काम किए जाएंगे। वहीं बेस फ्लो का स्तर ऊपर उठाने के लिए मध्य क्षेत्र में जलसंरक्षण एवं संग्रहण संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा। पूर्णा नदी के जलसंग्रहण और भूजल रिचार्ज संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा। पूर्णा नदी के उपचार के लिए मनरेगा से 1033.150, आदिम जाति कल्याण विभाग से 450, जलसंसाधन विभाग से 950, आईटीडीपी भैंसदेही से 480, बीआरजीएफ बैतूल से 250, जन सहभागिता से 152 और राजीव गांधी जलग्रहण मिशन से 15 लाख रूपए की राशि की व्यवस्था की जा रही है। जिसमें उपचार का कार्य किया जाएगा। नदी उपचार के लिए विभिन्न स्तर पर समितियों का गठन और उनके प्रशिक्षण के लिए भी अलग-अलग व्यवस्थाएं प्लान में शामिल है।पूर्णा नदी के तमाम उपचार के बाद यह माना जा रहा है कि 31 मार्च 2013 की स्थिति में चयनित जलग्रहण क्षेत्र के उभयनिष्ठ बिंदू पर पर्याप्त जलप्रवाह के रूप में निश्चित रूप से पूर्णा नदी को पुर्नजीवन मिलेगा। जिससे करीब सात हजार हेक्टेयर सिंचाई के रकबे में वृद्धि होने से 800 हेक्टेयर कृषि का रकबा बढ़ेगा। वहीं 28 ग्रामों में भूजलस्तर में वृद्धि होगी। क्षेत्र में जैव विविधता का संरक्षण होगा।इस प्लान की प्रस्तुति मुख्यमंत्री के समक्ष हो चुकी है और उन्हें भी यह प्लान बेहद पसंद आया है और इस पर काम भी शुरू हो चुका है।कुछ इसी तरह कह महत्वाकांक्षी योजना ताप्ती को लेकर जल संसाधन विभाग एवं आरइएस विभाग ने भी बनाई थी जिसके तहत ताप्ती नदी के 250 किलोमीटर के बहाव क्षेत्र में 25 छोटे स्टाप डेप एवं 250 से अधिक ओव्हरफ्लो रपटो के निमार्ण की महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की थी लेकिन योजना को मूर्त रूप मिलता उसके पहले ही योजना ठंडे बस्ते में चली गई। बैतूल जिले के राजनेताओं एवं जनप्रतिनिधियों के सूर्यपुत्री मां ताप्ती के प्रति उपेक्षाजनक व्यवहार के चलते बैतूल जिले में अपार जल क्षमता वाली ताप्ती में भले ही ऊपरी जल प्रवाह बंद हो जाता हैं लेकिन 250 किलोमीटर के क्षेत्र में करीब साढे चार सौ से अधिक ऐसे डोह एवं गहरे गडडे हैं जो कि दो सौ से ढाई सौ फिट गहरे हो सकते हैं जिसमें साल भर पानी भरा रहता हैं। यह कोई साधारण बात नही हैं कि हर आधा किलोमीटर पर ताप्ती में कोई न कोई जल सग्रंह के सैकड़ो विशाल भंडार हैं , जहां पर बारहमास पानी की कमी नहीं होती हैं। भले ही ताप्ती नदी ऊपरी तह पर बह नही पाती हैं लेकिन पूरी की पूरी नदी सुखी नहीं पाती हैं। नदी का आंतरिक बहाव मई जून मास में भी देखने को मिलता हैं जअ कोई नदी के बीचो- बीच पोखर या गडड खोदता हैं। ताप्ती के जल संग्रहण के पीछे की कहानी भले ही पिता एवं पुत्री के स्नेह का प्रतिक हो लेकिन बैतूल जिले में यदि ताप्ती का जल प्रवाह यदि छोटे - छोटे रपटे डेमो या ओव्हर फ्लो डेमो को बना कर किया जाता हैं तो ताप्ती नदी के किनारे बसे सैकड़ो गांवो एवं हजारो हैक्टर भूमि का उद्धार हो सकता हैं लेकिन जिस प्रदेश सरकार को ताप्ती के नाम मात्र से चिढ़ हो वह भलां उस नदी को क्यों महत्व देगी जिसके महात्म के आगे गंगा - यमुना तक नतमस्तक हैं। प्रदेश गान में अपनी उपेक्षा के बाद अब नदी के जल संग्रहण के प्रति उपेक्षित बहन के प्रति शनि महाराज की नज़रे कहीं शिवराज सरकार के पतन का कारण न बन जाए। वैसे भी शनि महाराज लोहे के रूप में प्रदेश सरकार के मुखिया के डम्पर कांड पर अपनी नज़र केन्द्रीत करने वाले हैं।



मामा मेरी शादी करवा दो , मेरी शादी करवा दो
शिवराज सिंह चौहान के भांजे - भांजियों की नौ माह में नहीं हुई एक भी शादी
 बैतूल, रामकिशोर पंवार: मध्यप्रदेश सरकार के मामा शिवराज के भांजे एवं भांजिया इन दिनो बस एक ही गाना गा रहे हैं कि मामा मेरी शादी करवा दो , मेरी शादी करवा दो ...... प्रदेश सरकार की बहुचर्चित मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का बैतूल जिले में क्या हश्र हो रहा हैं वह इस बात से पता चल जाता हैं कि पिछले नौ माह में एक भी शादी नहीं हो सकी हैं। गरीबों के हाथ पीले कराने के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना मुख्यमंत्री कन्यादान में जिले के अधिकारी रूचि नहीं दिखा रहे हैं। इसका नतीजा है कि शादी के कई मुहुर्त बीत जाने के बाद भी जिले में नौ महीने के अंदर योजना के तहत एक भी शादी नहीं हुई है। मुख्यमंत्री कन्या दान योजना के तहत हर वर्ष गरीब युवक-युवतियों के सामूहिक विवाह कराए जाते हैं। इस योजना के तहत विवाह कराने में अधिकारियों की रूचि नहीं होने की वजह से पिछले नौ महीने में एक भी विवाह नहीं हो सका है। वर्ष 2010-11 में जिले की प्रत्येक जनपदों को 100-100 एवं नगर पालिका, नगर पंचायत को 50-50 शादी कराने का लक्ष्य दिया गया था। कुछ जनपदों को छोड़ दिया जाए तो कहीं पर भी लक्ष्य की पूर्ति नहीं हो सकी है। इस वर्ष भी योजना के तहत शादी को लेकर प्रचार-प्रसार नहीं किया जा रहा है।मुख्यमंत्री कन्या दान योजना के तहत वर्ष 2010-11 में अप्रैल माह में 207, मई में 597 एवं जून माह में 08 शादियां हुई हैं। इसके बाद से एक भी शादी नहीं हुई है। जबकि शादियों के लिए माह का बंधन निश्चित नहीं किया गया है फिर भी सामाजिक न्याय विभाग की महिला अधिकारी को सरकारी गाडिय़ो में घुमने से फुर्सत नहीं हैं। सरकारी नियमो को ताक में रख कर पूरे जिले में बहुचर्चित इस महिला अधिकारी की बैतूल की सड़को पर ड्रायविंग को लेकर कई बार सवाल उठे हैं लेकिन अपने विभाग के मूल कार्यो से मुंह चुराती इस महिला अधिकारी की कथित दबंगता के चलते कोई भी उनसे यह सवाल करने की स्थिति में नहीं हैं कि पिछले नौ माह में जिले में एक भी मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत किसी गरीब , बेबस , लाचार , कन्या के हाथ क्यों पीले नहीं हो सके हैं। वैसे देखा जाए तो मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के लिए कोई धार्मिक तीथी या मुहुर्त का कोई बंधन नहीं हैं उसके बाद कभी भी कराई जा सकपे वाली शादी के प्रति महिला अधिकारी का इस तरह का रवैया सरकारी योजना का पलीता निकालने के लिए काफी हैं। कराई जा सकती है। बीते 9 माह में ज्योतिषी विद्यानुसार कई मुहुर्त आकर निकल चुके हैं। बैतूल जिले में ऐसा भी नही हैं कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत गरीब विवाह नहीं करना चाहते। आवेदन करने के बाद भी शादी नहीं करवाई जा रही है। नगर पालिका में ही इस समय पिछले वर्ष के पांच आवेदन पड़े हुए हैं। जिनकी आज दिनांक तक न तो शादी नहीं कराई गई है और न ही उन्हे भविष्य में शादी करवाने का कोई लिखित या मौखिक आश्वासन मिला है। कन्यादान योजना के तहत वर-वधू को दी जाने वाली सामग्री की राशि भी शासन ने बढ़ा दी है। अब शादी के लिए शासन से 10 हजार रूपए की राशि दी जाएगी। जिसमें वर-वधू को नौ हजार का सामान और एक हजार रूपए शादी का खर्चा रहेगा। योजना के तहत अब शादी रचाने वाले को सिलाई मशीन भी दिया जाना सुनिश्चित किया गया है। पूरे मामले को लेकर जब सुचिता बेक तिर्की, उपसंचालक सामाजिक न्याय विभाग बैतूल से सम्पर्क किया गया तो उनका पलटवार था कि जब कोई आवदेन ही नहीं मिले हैं तो किसकी - किससे शादी करवा दू ......? जब उन्हे आवेदनो की जानकारी दी गई तो फिर उनका गोलमाल जवाब था कि उन्हे पता नहीं चला हैं। मेरे पास आवेदन आएगें तो उन पर विचार किया जाएगा। जब सामाजिक न्याय विभाग को आवेदन करना हैं तो फिर नगर पालिका , नगर पंचायते , जनपद पंचायते , ग्राम पंचायतो द्वारा फिर क्यों आवेदन मांगे जा रहे हैं। इधर जिला प्रशासन का कहना हैं कि जिले के सभी जनपद सीईओ को शादी के लिए युवक -युवतियों के आवेदन लेने के निर्देश दिए हैं। अप्रैल माह में शादी कराई जाएगी।




डाटा एन्ट्री आपरेटर की चयन सूची जारी
बैतूल, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) तथा बैकवर्ड रीजन ग्रांट फण्ड योजनान्तर्गत डाटा एन्ट्री आपरेटर संविदा की चयन सूची जारी कर दी गई है। परियोजना अधिकारी जिला पंचायत श्री एस.के.मलिक से प्राप्त जानकारी के अनुसार मनरेगा में दस एवं बी.आर.जी.एफ. में आठ अभ्यर्थियों का चयन किया गया है। उक्त पदों की प्रतीक्षा सूची भी जारी की गई है। चयनित सूची के अनुसार मनरेगा अंतर्गत अनारक्षित वर्ग पुरूष में श्री सतीष कुमार पंवार, श्री सुनील माथनकर तथा तापीदास च$ढोकार तथा अनारक्षित वर्ग महिला में श्रीमति सोनिया खत्री व श्रीमति रानी दुबे का चयन किया गया है। अन्य पिछड़ा वर्ग में श्री नगेन्द्र कुमार गोरिया अनुसूचित जनजाति वर्ग में श्री श्रवण कुमार क बडे, श्री श्रीराम क बडे, श्री स्वप्निल वाकोडकर, श्री विरेन्द्र कुमार वाघमारे का चयन किया गया है। उक्त पदों की प्रतीक्षा सूची के अनुसार अनारक्षित वर्ग में श्री विजय कवडकर, श्री महेश कुमार परमार, श्री दिलेश पंवार, श्री राजेश पंवार, श्री अनंत कुमार श्रीवास्तव, श्री दिलीप कुमार नावंगे तथा अन्य पिछड़ा वर्ग में श्री महेश कुमार परमार एवं राजेश पंवार को प्रतीक्षा सूची में रखा गया है। बैकवर्ड रीजन ग्रांट फण्ड योजनान्तर्गत अनारक्षित वर्ग में पुरूष हेतु श्री सतीष कुमार पंवार, श्री संजय खातरकर, श्री श्रवण कुमार क बडे, तथा अनारक्षित महिला हेतु श्रीमति सोनिया खत्री का चयय किया गया है। अन्य पिछड़ा वर्ग हेतु आरक्षित पद पर श्री नरेन्द्र कुमार गोरिया, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पदों पर श्री जितेन्द्र कुमार आरसे तथा श्री संतोष खातरकर तथा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पद पर श्री मंगलेश कुमार सोनारे का चयन किया गया है। उक्त पदों की प्रतीक्षा सूची में अनारक्षित श्रेणी के लिये श्री विजय कवडकर, श्री दिलीप पंवार, श्री राजेश पंवार, श्री कपिल कुमार राठौर, श्री अमित कुमार मालवीय, श्री रंजीत सिंह राठौर का नाम है। इसी प्रकार अनुसूचित जाति की प्रतीक्षा सूची में श्री विनोद कुमार उबनारे, श्री आशीष कुमार उपराले, श्री विकास अतुलकर तथा अन्य पिछड़ा वर्ग की प्रतीक्षा सूची में श्री राजेश पंवार एवं श्री कपिल कुमार राठौर का नाम है। गौरतलब है कि उक्त पदों के लिए लिखित परीक्षा, कौशल परीक्षा एवं साक्षात्कार का आयोजन किया गया है।


 कमल का फूल नही चिंगारी हैं, हम भारत कांग्रेसी नारी हैं
शिवराज सरकार के खिलाफ कांग्रेसी महिला नेत्रियों ने हल्ला बोला
बैतूल, शेख गफ्फार , कहते हैं कि पति - पत्नि गृहस्थी रूप रथ के दो पहिए के समान हैं। मध्यप्रदेश के बहुचर्चित सारनी स्थित सतपुड़ा ताप बिजली घर के कामगारो एवं कांग्रेसी विचारधारा से जुड़े श्रमिक संगठनो के नेताओं एवं कर्मचारियों की पत्नियों ने अपने पति के भविष्य में होने वाले रिटायरमेंट के बाद उत्पन्न होने वाली समस्याओं को लेकर घर का चुल्हा चौका छोड़ कर अजीबो - गरीबो स्टाइल में हल्ला बोल प्रदर्शन कर डाला। सभा में वक्ता से लेकर संचालक तक महिलाएं ही थी और सभी ने कमल छाप भाजपा सरकार को जमकर कोसा और नारेबाजी की। सारनी ताप बिजली घर के मान्यता प्राप्त श्रमिक संगठनो के नेताओं की श्रीमति जी अपना घर का चूल्हा-चौका छोड़कर अन्य कर्मचारी परिवारों की महिलाओं के साथ सारनी नगर की सड़कों पर उतर आईं। हाथों में तख्तियां और बैनर लेकर महिलाएं कर्मचारियों की पत्नियों और परिवार की महिलाओं ने सबसे पहले सारनी ताप बिजली घर के बिजली प्लांट में हल्लाबोला और फिर आमसभा की और रैली निकालकर मुख्यमंत्री के शिवराज सिंह चौहान के नाम पर बकायदा नाम ज्ञापन तक सौपा। महिलाएं बिजली कर्मचारियों की सेवा शर्ते व पेंशन की मांग का समर्थन को लेकर प्रदर्शन एवं नारेबाजी कर रही थीं। उल्लेखनीय हैं कि बिजली प्लांट के एक दर्जन कर्मचारी संगठन मिलकर संघर्ष समिति के माध्यम से मंडल से कंपनीकरण के बाद कर्मचारियों की सेवा शर्तें व पेंशन निर्धारण की स्थिति स्पष्ट करने की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। 29 मार्च से उन्होंने अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर रखा है। प्रदेश के 40 हजार बिजली कर्मचारियों के हितों का हवाला देते हुए संघर्ष समिति भोपाल से लेकर कंपनी मुख्यालय जबलपुर तक रैली, ज्ञापन व आमसभा के जरिए आंदोलन कर रही है। इस कड़ी में सारनी मेें प्लांट कर्मचारियों के परिवार की महिलाएं सड़कों पर उतर आईं। महिलाओं ने पहले प्लांट के गेट नंबर सात पर आमसभा की। 500 से अधिक महिलाएं रैली के रूप में कर्मचारियों के साथ रैली के रूप में चीफ इंजीनियर ऑफिस पहुंची। यहां मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन चीफ इंजीनियर आरके दाते को दिया और कर्मचारियों की मांगें स्वीकार करने की बात कही। कांग्रेसी महिला नेत्रियां भाजपा सरकार पर खूब गरजी और उन्हे बहुंत कुछ बुरा भला तक कहां। रैली एवं सभा में शामिल महिलाएं मंडल में कार्यरत अपने पतियों एवं अन्य कर्मचारियों के समर्थन में सड़को पर जब उतरी तो नजारा ही कुछ और था। पहले तो ऐसा लगा रहा था कि किसी उत्पीडऩ के मामले को लेकर रैली निकाली जा रही हैं लेकिन करीब आने पर पता चला कि महिलाओं अपने आने वाले भविष्य को लेकर चिंतित होकर अपनी भड़ास को निकालने आई हैं। अकसर शांत एवं सरत तथा सहज दिखने वाली महिलाएं घायल शेरनी की तरह दहाड़े मार रही थी। इन सभी नेत्रियो ने पहले प्लांट के द्वार पर और बाद में नगर के शॉपिंग सेंटर में सभाएं की। दोनों जगह महिलाओं ने कर्मचारी हितों को लेकर कंपनी प्रबंधन और सरकार को तमकर कोसा। सभा को महिला कांग्रेस नेत्री श्रीमति ममता पांडे, सावित्री सिंह, प्रमिला पांसे, नीलू दुबे, नम्रता तिवारी, सुमन कुरानिया, गीता बड़घरे और वसुंधरा गायकवाड़ सहित अन्य महिलाओं ने संबोधित किया। उनका कहना था कि वे हर कदम पर कर्मचारियों के साथ हैं। कर्मचारियों और उनके परिवारों के भविष्य से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

मध्यप्रदेश के भाजपाई पंचायती राज का एक कड़वा सच
सरपंच , सचिव, पंचायत इंस्पेक्टर , जनपद सीइओ तक बने करोड़पति
बैतूल, रामकिशोर पंवार: मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान का ग्राम स्वराज , सूराज तथा सरकारी कागजी पंचायती राज यदि किसी जिले में सार्थक सिद्ध हुआ हैं तो निश्चीत तौर पर मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले का नाम अव्वल आता हैं। बैतूल जिले में पंचायती राज के सफल सिद्ध होने में रीढ़ की हडड्ी बने ग्राम पंचायतो के सरपंच , सचिव और पंचायत इंस्पेक्टर जो कि इस समय बैतूल जिले के सबसे तेजी बनने वाले करोडपतियों में शामिल हैं। बैतूल जिले के एक पंचायत इंस्पेक्टर को पंचायती राज ने महज 17 सालों में साइकिल से हेलीकाप्टर खरीदनें की स्थिति में ला दिया हैं। यूं तो बैतूल जिले की 558 पंचायतो को दस जनपदो के अधिनस्थ रखा हैं। लेकिन दो जनपदो का एक मालिक बने हैं जिले के मात्र 5 पंचायत इंस्पेक्टर जिनकी माली हालत आज की स्थिति में बैतूल के मामाजी ज्वेलर्स और विनोद डागा की स्थिति में लाकर कर खडा कर दिया हैं। बैतूल जिले में इस समय 5 ग्राम पंचायत इंस्पेक्टर के पास औसतन प्रति इंस्पेक्टर सवा सौ पंचायते हैं। जबकि एकसीइओ के पास बमुश्कील 80 भी ग्राम पंचायते नहीं हैं। मिली जानकारी के अनुसार बैतूल जिले के भीमपुर विकासखण्ड के रतनपुर ग्राम के रहने वाले ग्राम पंचायत सहायक के रूप में 17 साल पहले भर्ती हुए पंचायत कर्मी के पास एक टूटी - फूटी साइकिल थी। आज के समय इस पंचायत इंस्पेक्टर के तथाकथित परीश्रम के चलते उनके पास जेसीबी मशीनो , रोड रोलरो , टेक्ट्रर ट्रालियां , जीपे , कारे और न जाने कितने वाहनो का भंडार हैं। पंचायत इंस्पेक्टर के पुत्र की अपनी प्रायवेट कंस्टे्रक्शन कपंनी भी हैं। यह आरोप कोई और लगता तब तो ठीक था लेकिन भाजपा समर्थक जनपद पंचायत की उपाध्यक्ष श्रीमति परवती बड़ोदे एवं उनके पुत्र भाजपा नेता संतोष बड़ोदे ने उक्त सनसनी खेज मामले को सामने लाकर सनसनी पैदा कर दी हैं। कांग्रेस समर्थक जनपद अध्यक्ष सुनील भलवाी का कहना हैं कि पूरी जनपद में बीस करोड़पति तथा पचास लखपति सचिव मिल जाएगें जिन्होने आज तक अपनी चल एवं अचल सम्पत्ति घोषित नहीं की हैं। जिले की इस कोरकू बाहुल्य जनपद क्षेत्र में सचिवो एवं पंचायत इंस्पेक्टरो की अपनी एक तरफा दादागिरी चलती हैं। जनपद की अधिकांश ग्राम पंचायतो से अपने लिए विभिन्न मदो के फर्जी कार्यो के अपने परिजनो के नाम पर डंके की चोट भुगतान  पर पा रहे इन लोगो का कोई बालबांका नहीं कर पा रहा हैं। अधिकांश सचिवो एवं पंचायत इंस्पेक्टरो की की एक जेब में पंचायती मंत्री गोपाल भार्गव है तो दुसरी जेब में बैतूल से लेकर भोपाल तक की राजनीति हैं। इन सभी पंचायत कर्मियों का जलजला यह हैं कि वे किसी भी नेता , मंत्री , संत्री , अधिकारी का दो मिनट में काम लगा देते हैं। इन सभी धनाढय़ पंचायत कर्मियों की दाद देनी चाहिए कि उनके पास जो कुछ भी हैं वह उनका कुछ भी नहीं हैं सब कुछ उनके बेटे परिवार के सदस्यों एवं अन्य का हैं।

चार सौ रूपए किलो के देशी शुद्ध घी के साथ
चालिस रूपए किलो कोदो - कुटकी की रोटी खाना पड़ा महंगा
बैतूल, रामकिशोर पंवार: कौन कहता कि भारत गरीब है या भूखा हैं...? आप माने या न माने लेकिन सच हमेशा कड़वा होता हैं। बैतूल जिले के एक आदिवासी मनोहर के परिवार के तीन सदस्यों को गर्मी के दिनों में चार सौ रूपए किलो के शुद्ध देशी घी को चालिस रूपए किलो के कोदो - कुटकी की रोटी के साथ नमक और मिर्च लगा कर खाना इतना मंहगा पड़ा की जान पर आ पड़ी। बैतूल जिले के रानीपुर थाना के एक छोटे से गांव हीरावाड़ी के एक ही परिवार के तीन सदस्य इस समय जीवन और मृत्यु  के बीच झूल रहे हैं। लजीज खाने के शौक में विजय आत्मज मनोहर , किरण बाई जौजे दिलीप एवं अनुसईया जौजे मनोहर ने कोदी की रोटी पर घी लगा कर लाल मिर्च और नमक लगा कर खा तो लिया लेकिन बाद में जब विषाक्त बने खाने के चक्कर में जिला चिकित्सालय में भर्ती हुए तीन लोगो के स्वास्थ में कोई सुधार नहीं आ सका हैं। वैसे तो पूरे परिवार के छै सदस्यों ने भोन किया था। अपने खाने-पीने के मामले में थोड़ी सी लापरवाही जान की दुश्मन बन जाती है। इस समय बैतूल जिले में दूषित भोजन की वजह से बीमार होकर ग्रामीणो का जिले के विभिन्न अस्पतालों में आना शुरू हो गया हैं। हाल ही में झल्लार थाना क्षेत्र के ग्राम हथनानिझरी में दही और गोभी की सब्जी खाने से रात एक ही परिवार के दस लोग बीमार हो गए। वहीं एक अन्य घटना में रानीपुर थाना क्षेत्र के ग्राम हीरावाड़ी में कोदो की रोटी खाने से छह लोगों की तबीयत बिगड़ गई जिसमें तीन की हालत ज्यादा खराब बनी हुई है। ग्राम हथनाझिरी निवासी झिंगू पिता संतू ने बताया कि रात में दही और गोभी की सब्जी के साथ भोजन किया था। भोजन करने के कुछ देर बाद परिवार के सभी सदस्यों की हालत बिगडऩे लगी। एक के बाद एक सभी दस सदस्यों को उल्टी शुरू हो गई। उल्टी होने से दो बच्चे बेहोश भी हो गए। परिवार के सदस्यों की तबीयत बिगडऩे की खबर गांव में लगी तो ग्रामीण घर आ गए। ग्रामीणों ने ही तत्काल इसकी जिला अस्पताल में सूचना दी। एम्बुलेंस की सहायता से सभी को अस्पताल में भर्ती कराया है। पीडि़तों के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। परिवार के मुखिया झिंगू ने बताया कि बताया कि पड़ोस में एक व्यक्ति के घर से दही लाया था और खुद के घर में भी चार दिन पहले दही जमाया। रात में दोनों ही दही मिलाकर गोभी की सब्जी के साथ परिवार के सदस्यों ने खाया था। दही में ही खराबी के कारण परिवार के सदस्य बीमार हुए हैं। वहीं दही नहीं खाने के कारण बड़ी बहू की तबीयत ठीक है। वहीं जिस घर से दही लाया था उनके परिवार के सदस्यों की भी तबीयत ठीक है। दही खाने से दस वर्षीय गायत्री, आठ वर्षीय नितेश, छह वर्षीय कृष्णा, उन्नीस वर्षीय संध्या, सोलह वर्षीय दीपक, उन्नीस वर्षीय वंदना, बारह वर्षीय वर्षाय, 48 वर्षीय झिंगू, 45 वर्षीय बाया, 18 वर्षीय तुलाराम बीमार हो गए। गर्मी का मौसम आते ही जिले में फुड पाइजनिंग की घटनाओं में बढ़ोतरी हो गई है। इसके पहले भी पाढर के प्राथमिक स्कूल में बच्चों को दिए जाने वाले भोजन को चखने के बाद रसोइया बीमार हो गई थी। वहीं घोड़ाडोंगरी में भी आधा सैकड़ा आशा कार्यकर्ता भोजन से बीमार हो चुकी हैं। सबसे चौकान्ने वाली बात तो यह हैं कि दोनो ही आदिवासी परिवार के 13 सदस्यों के इस संवेदशनील मामले में प्रशासन का नकारात्मक रवैया सामने आया हैं। पूरे मामले में कहीं न कहीं स्वास्थ विभाग की लापरवाही भी कम नहीं रही। बरहाल जिले में विषाक्त भोजन के मामले न हो इसलिए लोगो में जागरूकता लाने की जरूरत हैं।